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Monday, December 15, 2008

यूँ निभाई दोस्ती कुछ गैरों ने अपना बनाके

ग़म को सीने में छुपाना छोड़ दिया,
हमने दर्द में मुस्कुराना छोड़ दिया,

यूँ निभाई दोस्ती कुछ गैरों ने अपना बनाके,
हमने और नए दोस्त बनाना छोड़ दिया,

इंतेजार की मियाद जब इंतेहा लाँघ गई,
हमने उम्मीदों से दिल बहलाना छोड़ दिया,

हर वादे को वो यूँ ही भुलाते रहे,
और हमने उनको याद दिलाना छोड़ दिया,

वो जब अनदेखा कर गुजरने लगे सामने से,
हमने उनसे नज़रें मिलाना छोड़ दिया,

यह सोच कर के कोई पूछ ले उदासी का सबब,
हमने महफिलों में आना जाना छोड़ दिया,

उम्मीद वफ़ा यूँ टूटी हर बार हमारी,
हमने किस्मत को आजमाना छोड़ दिया.....

Friday, December 12, 2008

ज़िन्दगी की राह में आज तुम्हे भी एक हमसफ़र मिला

To Divya,

दिल के बाग़ में आज एक और फूल खिला,
ज़िन्दगी की राह में आज तुम्हे भी एक हमसफ़र मिला.

एक अटूट रिश्ते में बंधने को,
दो दिल फिर तैयार हुए,
फिर शेहनाई की आवाज़ सुनने को,
ये आलम बेकरार हुए.

इस खुशी के मौके पर,
क्या कहें तुमसे, की क्या चाहते हैं हम,
कितने तारे, कितने फूल,
तुम्हारी राहों में चाहते हैं हम.

आज साथ हैं हम सब,
कल को होंगे.
खुशी के ये चंद पल,
साथ गुजारने को, हम होंगे.

मगर खुदा के आगे सजदा करने को ये सर जब भी झुकेगा,
दिल के एक कोने से, तुम्हारे लिए खुशियों की दुआ मांगेंगे।

From Khushboo