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Wednesday, August 01, 2007

कोई दीवाना कहता है

कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझता है,


मगर धरती कि बचैनी को,
बस बादल समझता है,


तू मुझसे दूर कैसे है,
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ,


यह तेरा दिल समझता है,
या मेरा दिल समझता है,



मुहब्बत एक एहसासों कि पवन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,


यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आंखों मैं आँसू हैं,


जो तू समझे तो मोती है,
जो ना समझे तो पानी है.....

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