डूब रही हैं साँसे मगर ये गुमान बाक़ी है
आने का किसी शख्स के अभी उम्मीद बाक़ी है
मुद्दत होयी एक शख्स को बिछ्ड़े लेकिन
आज तक मेरे दिल पे एक निशाँ बाक़ी है
वो आशियाँ छिन गया तो कोई गम नही
अभी तो मेरे सिर पे ये आसमान बाक़ी है
कश्ती ज़रा किनारे के करीब ही रखना
बिखरी हुई लहरों में अभी तूफान बाक़ी है
तुम्हारे ही अश्कों ने लब भर दिए वर्ना
अभी तो मेरे दुखों कि दास्ताँ बाक़ी है
गमों से कह दो कि अभी ना अपना सामान बांधें
कि अभी तो मरे जिस्म में कुछ ओर जान बाक़ी है……..
जा चुके हैं सब लोग खामोश पडी है बस्ती
मगर किसी आस पे…अभी कुछ सांस बाक़ी है…
Saturday, July 28, 2007
Tuesday, July 03, 2007
उस अजनबी का यूँ ना इंतज़ार करो
इस आशिक दिल का ना ऐतबार करो
रोज़ निकला करें किसी के याद में आंसू
इतना कभी ना किसी से प्यार करो
दिल कि आवाज़ को इजहार कहते है,
झुकी निगाह को इकरार कहते है
सिर्फ पाने का नाम इश्क नही.
कुछ खोने को भी प्यार कहते है
हर आहट एहसास हमारा दिलायेगी.,
हर हवा खुशबु हमारी लायेगी.;
हम दोस्ती ऐसी निभाएंगे यारा!
कि हम ना होंगे और हमारी याद तुम्हे सतायेगी..
इस आशिक दिल का ना ऐतबार करो
रोज़ निकला करें किसी के याद में आंसू
इतना कभी ना किसी से प्यार करो
दिल कि आवाज़ को इजहार कहते है,
झुकी निगाह को इकरार कहते है
सिर्फ पाने का नाम इश्क नही.
कुछ खोने को भी प्यार कहते है
हर आहट एहसास हमारा दिलायेगी.,
हर हवा खुशबु हमारी लायेगी.;
हम दोस्ती ऐसी निभाएंगे यारा!
कि हम ना होंगे और हमारी याद तुम्हे सतायेगी..
कभी नज़रें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी नज़रें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं
किसी ने आंख भी खोली तो सोने कि नगरी में
किसी को घर बनने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी काली सेयाह रातें हमें पल पल कि लगती हैं
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी खोला घर का दरवाज़ा खडी थी सामने मंज़िल
कभी मंज़िल को आने में ज़माने बीत जाते हैं
एक एक पल में टूट जाते हैं उम्र भर के वोह रिश्ते
वोह रिश्ते जो बनने में ज़माने बीत जाते हैं .
कभी नज़रें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं
किसी ने आंख भी खोली तो सोने कि नगरी में
किसी को घर बनने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी काली सेयाह रातें हमें पल पल कि लगती हैं
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी खोला घर का दरवाज़ा खडी थी सामने मंज़िल
कभी मंज़िल को आने में ज़माने बीत जाते हैं
एक एक पल में टूट जाते हैं उम्र भर के वोह रिश्ते
वोह रिश्ते जो बनने में ज़माने बीत जाते हैं .
Orkut पर इंतज़ार आज भी है
किसी Orkut Profile को तेरा इंतज़ार आज भी है
कहाँ हो तुम कि ये Net बेकरार आज भी है
वोह Messages ... वोह Scraps ... कि हम मिलते थे जहाँ
मेरे Scrap का Font-ओ-Color वहाँ आज भी है
किसी Orkut Profile को तेरा इंतज़ार आज भी है
ना पूछो कितने हम Net के hours लगाये हैं
कि जिस पर मेरा Profile वीरान आज भी है
किसी Orkut Profile को तेरा इंतज़ार आज भी है
वोह Scrap जिस के लिए हमने छोड़ दी Cricket
हमारे hard-drive मॆं वो आपकी profile कि Photos Save आज भी है ...
किसी Profile को तेरा इंतज़ार आज भी है
कहाँ हो तुम के ये Net बेकरार आज भी है
कहाँ हो तुम कि ये Net बेकरार आज भी है
वोह Messages ... वोह Scraps ... कि हम मिलते थे जहाँ
मेरे Scrap का Font-ओ-Color वहाँ आज भी है
किसी Orkut Profile को तेरा इंतज़ार आज भी है
ना पूछो कितने हम Net के hours लगाये हैं
कि जिस पर मेरा Profile वीरान आज भी है
किसी Orkut Profile को तेरा इंतज़ार आज भी है
वोह Scrap जिस के लिए हमने छोड़ दी Cricket
हमारे hard-drive मॆं वो आपकी profile कि Photos Save आज भी है ...
किसी Profile को तेरा इंतज़ार आज भी है
कहाँ हो तुम के ये Net बेकरार आज भी है
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