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Tuesday, August 07, 2007

दो पल के हसीं ख्वाब

दो पल के हसीं ख़्वाब,
दो दिल के फ़साने,
याद आते हैं अब भी,
वो गुज़रे ज़माने,

साँसों की महक उनकी,
मोहब्बत से कही हर बात,
माशूक बडा ज़ालिम था,
बरी कातिल है उनकी याद,

भूले बिचारे वो वादे,
कच्चे धागों सी वो कसमें,
दो पल के थे सारे,
ना हुए कभी वो अपने,

याद आते हैं अब भी,
वो गुज़रे ज़माने,
दो पल के हसीं ख्वाब,
दो दिल के फ़साने......

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