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Wednesday, September 26, 2007

SMS - Part 08

जिसकी तलाश है उसको पता ही नही
हमारी चाहत को उसने समझा ही नहीं
हम पूछते रहे कि क्या तुम्हे हमसे प्यार है
वो कहते रहे कि उन्हें पता ही नहीं


मंजिलें भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक में अकेला था
काफिला भी उसका था
साथ-साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था
आज क्यों अकेला हूँ में ?
दिल सवाल करता है यह ....
लोग तो उसके थे , क्या खुदा भी उसका था !


मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे , आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है

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