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Sunday, November 04, 2007

SMS - Part 10

किस कद्र खूब है सादगी आपकी
हमे आज भी याद है दिल्लगी आपकी
जब भी मिले है फुरसत के लम्हे
दिल ने महसूस की है कमी आपकी



चाँद को कभी अकेला ना पाओगे
आगोश में सितारे मिल ही जायेंगे
कभी अगर तन्हा हो तो ऑंखें बंद कर लेना
अनजाने चेहरों में इस दोस्त को ज़रुर पाओगे




इश्क है वही जो हो एक तरफा
इजहार है इश्क तो ख्वाईश बन जाती है
है अगर इश्क तो आँखों में दिखाओ
जुबां खोलने से ये नुमाइश बन जाती है



शायद फिर से वो तकदीर मिल जाए
जीवन का सबसे हसीं पल मिल जाए
चल फिर से बनाए सागर पे रेत का मकान
शायद वापिस अपना बचपन मिल जाए




वो यारो कि महफिल वो मुस्कुराते पल
दिल से जुदा है अपना बीता हुआ कल
कभी गुज़रती थी ज़िंदगी वक़्त बिताने में
आज वक़्त गुज़र जाता है , उन यादों को जुटाने में




तुम्हारी दुनिया से जाने के बाद
हम तुम्हे हर एक तारे में नज़र आया करेंगे
तुम हर पल कोई दुआ माँग लेना
और हम हर पल टूट जाया करेंगे






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