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Thursday, September 27, 2007

पुरानी यादे ताज़ा करो।

मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।

पोशम्पा भाई पोशम्पा,
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी खानी पडेगी,
जेल का पानी पीना पडेगा।
थै थैयाप्पा थुश
मदारी बाबा खुश।

झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।

आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।

आलू-कचालू बेटा कहा गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।

तितली उडी, बस मे चढी।
सीट ना मिली,तो रोने लगी।।
driver बोला आजा मेरे पास,
तितली बोली " हट बदमाश "।

मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है

मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है

कुछ इस तरह तेरी पलकें

कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे

तू हर घड़ी, हर वक़्त
मेरे साथ रही है
हाँ यह जिस्म कभी दूर
कभी पास रहा है
जो भी गम हैं यह तेरे
उन्हें तू मेरा पता बता दे

कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे


मुझ को तो तेरे चेहरे पे
यह गम नही जंचता
जायज़ नही लगता मुझे गम से तेरा रिश्ता
सुन्न मेरी गुज़ारिश
इससे चेहरे से हटा दे


कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे

कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे

Wednesday, September 26, 2007

SMS - Part 08

जिसकी तलाश है उसको पता ही नही
हमारी चाहत को उसने समझा ही नहीं
हम पूछते रहे कि क्या तुम्हे हमसे प्यार है
वो कहते रहे कि उन्हें पता ही नहीं


मंजिलें भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक में अकेला था
काफिला भी उसका था
साथ-साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था
आज क्यों अकेला हूँ में ?
दिल सवाल करता है यह ....
लोग तो उसके थे , क्या खुदा भी उसका था !


मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे , आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है

Saturday, September 08, 2007

आज फुरसत है फैसला कर दे।

आँख प्यासी है कोई मंजर दे
इस जज़ीरे को भी समंदर दे

अपना चेहरा तलाश करना है
गर नहीं आईना तो पत्थर दे

बंद कलियों को चाहिए शबनम
इन चिरागों में रोशनी भर दे

पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतार
इस सदी को कोई पयंबर दे

कहकहों में गुज़र रही है हयात
अब किसी दिन उदास भी कर दे

फिर न कहना के खुदकुशी है गुनाह
आज फुरसत है फैसला कर दे।

Saturday, September 01, 2007

आंखों को बंद करते है दीदार के लिए ।

कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब,
तुम तो करने लगे पल-पल का हिसाब
खुश्क पत्तो का मौसम लेकर ,
आग के शहर में रहते हो जनाब



इन्कार वो करते है इकरार लिए,
नफरत भी करते है तो प्यार लिए
उलटी ही चाल चलते है इश्क करने वाले,
आंखों को बंद करते है दीदार के लिए



जी करे तुम्हारा चेहरा मेरे हाथ में हो
यह एहसास क्यों करते नही हो
तुम्हारे पास ही हूँ जानम ,
यह कह कर मन बहलाते क्यों हो ?



मोहब्बत मुझे थी उनसे इतनी ,
उनकी यादों में दिल तड़पता रहा
मौत भी मेरी चाहत को रोक ना सकी ,
कब्र में भी दिल धड़कता रहा



हर दुआ कुबूल नही होती,
हर आरजू पुरी नही होती
जिनके दिल में आप जैसे चाहनेवाले रहते हो,
उनके लिए धड़कन भी जरुरी नही होती