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Monday, August 06, 2007

फना शायरी

ए खुदा आज ये फैसला करदे,
उसे मेरा या मुझे उसका करदे.
बहुत दुःख सहे है मैंने,
कोई खुशी अब तो मुक्द्दर करदे.
बहुत मुश्किल लगता है उससे दूर रहना,
जुदाई के सफ़र को कम करदे.
जितना दूर चले गए वोह मुझसे,
उसे उतना करीब करदे.
नही लिखा अगर नसीब में उसका नाम,
तो खत्म कर ये जिन्दगी और मुझे फना करदे।

तेरे दिले में मेरी साँसों को पनाह मिल जाये
तेरे इश्क में मेरी जान फना हो जाये

आंखें तो प्यार में दिलकी ज़ुबां होती है,
सच्ची चाहत तो सदा बेज़ुबान होती है,
प्यार मे दर्द भी मिले तो क्या घबराना,
सुना है दर्द से चाहत और जवान होती है....



फूल हूँ गुलाब का
चमेली का मत समझना ?
आशिक हूँ आपका
अपनी सहेली का मत समझना

दूर हमसे जा पाओगे कैसे,
हमको भूल पाओगे कैसे.
हम वो खुशबू है जो साँसों में उतर जाये,
खुद अपनी साँसो को रोक पाओगे कैसे

बेखुदी कि जिन्दगी हम जिया नही करते,
यूं किसीका का जाम हम पिया नही करते.
उनसे कह्दो मोहब्बत का इजहार आकर खुद करें,
यूं किसीका पीछा हम नहीं करते

रोने दे तू आज हमको तू आंखे सुजाने दे
बाहों में लेले और खुद को भीग जाने दे
है जो सीने में कैद दरिया वो छुट जाएगा
है इतना दर्द कि तेरा दामन भीग जाएगा॥

तेरे दिल में मेरी साँसों को जगह मिल जाये
तेरे इश्क में मेरी जान फना हो जाये
अधूरी सांस थी धड़कन अधूरी थी अधूरें हम
मगर अब चांद पूरा हैं फलक पे और अब पूरें हैं हम


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