आज हम उन्हें बेवफा बताकर आये हैं ,
उनके खतों को पानी मे बहाकर आये हैं ,
कोई निकल कर पढ़ ना ले उन्हें ,
इसलिये पानी मे भी आग लगाकर आये हैं...
दूर जाकर भी उनसे दूर जा ना सके,
कितना रोये किसी को बता ना सके,
गम ये नही के हम उन्हें प ना सके,
दर्द सिर्फ ये है के हम उनको भुला ना सके...
जाने कैसे ये अफसाने लगने लगे,
अपनों को हम बेगाने लगने लगे,
अब तो वो हमे याद भी नही करते,
शायद उन्हें हम पुराने लगने लगे...
कह कोई ऐसा मिला जिस पर दिल लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया किस किस को भुला देते,
अपने दिल का दर्द दिल ही मे दबाये रखा है,
करते बयां तो महफिल को रुला देते...
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