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Saturday, March 29, 2008

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

हर नज़र को एक नज़र की तलाश है

हर नज़र को एक नज़र की तलाश है,
हर चहरे मे कुछ तो एह्साह है!

आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है!

चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,
तो चाँद की चाहत किसे होती!

कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,
तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती!

कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना!

कभी अगर दिल भर जाये तो संग अपने रुला लेना,
तनहा जी कर अपने इस दोस्त को इतने बड़ी सजा ना देना!

दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है,
अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है!

दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,
अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है!

दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही,
दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही!

इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,
यह वो "अनमोल" मोती है जो बिकता नही!

सची है दोस्ती आजमा के देखो,
करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो!

बदलता नही कभी सोना अपना रंग,
चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो !!

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है

छिप छिप अश्रु बहाने वालों
मोती व्यर्थ लुटाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है

सपना क्या है ? नयन सेज पर,
सोया हुआ आंख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जगे कच्ची नींद जवानी
गीली उम्र बनाने वालों!
डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है

माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आंसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुयी तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों! फटी कमीज़ सिलाने वालों!
कुछ दीपो के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धुप की धोती
वस्त्र बदल कर आने वालों ! चाल बदलकर जाने वालों!
चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है

लाखों बार गगरियाँ फूटीं
शिकन आई पनघट पर
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं
चहल-पहल वो ही है तट पर
तम की उम्र बढाने वालों! लौ की आयु घटने वालों !
लाख करे पतझड़ कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है

लूट लिया माली ने उपवन
लुटी लेकिन गंध फूल की
तूफानों तक ने छेदा पर
खिड़की बंद हुयी धुल की
नफरत गले लगाने वालों! सब पर धुल उडाने वालों
कुछ मुखडों की नाराजी से दर्पण नहीं मरा करता है

छिप छिप अश्रु बहाने वालों
मोती व्यर्थ लुटाने वालों !
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है

Friday, March 21, 2008

कई सदियों में आती है कोई सूरत हसीं इतनी

कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्व़ाब आते हैं
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं

कयामत देखनी हो गर चले जाना उस महफिल में
सुना है उस महफिल में वो बेनकाब आते हैं

कई सदियों में आती है कोई सूरत हसीं इतनी
हुस्न पर हर रोज कहां ऐसे श़बाब आते हैं

रौशनी के वास्ते तो उनका नूर ही काफी है
उनके दीदार को आफ़ताब और माहताब आते हैं