चेहरे पे बनावट का गुस्सा,
आंखों से छलकता प्यार भी है,
इस शौक-ए-अदा को क्या कहिये,
इनकार भी है और इकरार भी है।
मस्त निगाहों से देख लेना था,
अगर तमन्ना थी आजमाने की,
हम तो बेहोश यूंही हो जाते,
क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की।
याद करोगे कभी दोस्ती के इस ज़माने को ,
जब हम चले जायेंगे कभी लौटकर न आने को।
जब कभी नाम आएगा हमारा महफिल में,
तुम छिपकर चले जाओगे कहीं आंसू बहाने को।
सपने टूट जाते है अपने रूठ जाते है,
ज़िंदगी में जाने कैसे-कैसे मोड़ आते है।
मगर साथ हो आप जैसे दोस्त का,
तो राहों के फूल भी कांटे बन जाते है ।
वो बात क्या करूं जिसकी खबर ही न हो ,
वो दुआ क्या करूं जिसमे असर ही न हो ।
कैसे कह दूं तुझे लग जाये मेरी सारी उमर,
क्या पता अगले पल मेरी उमर हो की न हो ।
सागर में जितना पानी है
वो गागर में भर नही सकते
दिल में जितना प्यार है
वो SMS में लिख नही सकते
इश्क के सहारे जिया नही करते
गम के प्यालों को पिया नही करते
कुछ नवाब दोस्त है हमारे
जिनको परेशान ना करो
तो वो याद भी नही किया करते
तुम न मिलो कोई गम नही
बस बात करो ..... ये मिलने से कम नही
दोस्ती में धोका दे जाये वो हम नही
और हमारी दोस्ती "बंटी और बबली"से कम नही ।
Saturday, December 22, 2007
Sunday, November 04, 2007
SMS - Part 10
किस कद्र खूब है सादगी आपकी
हमे आज भी याद है दिल्लगी आपकी
जब भी मिले है फुरसत के लम्हे
दिल ने महसूस की है कमी आपकी
चाँद को कभी अकेला ना पाओगे
आगोश में सितारे मिल ही जायेंगे
कभी अगर तन्हा हो तो ऑंखें बंद कर लेना
अनजाने चेहरों में इस दोस्त को ज़रुर पाओगे
इश्क है वही जो हो एक तरफा
इजहार है इश्क तो ख्वाईश बन जाती है
है अगर इश्क तो आँखों में दिखाओ
जुबां खोलने से ये नुमाइश बन जाती है
शायद फिर से वो तकदीर मिल जाए
जीवन का सबसे हसीं पल मिल जाए
चल फिर से बनाए सागर पे रेत का मकान
शायद वापिस अपना बचपन मिल जाए
वो यारो कि महफिल वो मुस्कुराते पल
दिल से जुदा है अपना बीता हुआ कल
कभी गुज़रती थी ज़िंदगी वक़्त बिताने में
आज वक़्त गुज़र जाता है , उन यादों को जुटाने में
तुम्हारी दुनिया से जाने के बाद
हम तुम्हे हर एक तारे में नज़र आया करेंगे
तुम हर पल कोई दुआ माँग लेना
और हम हर पल टूट जाया करेंगे
हमे आज भी याद है दिल्लगी आपकी
जब भी मिले है फुरसत के लम्हे
दिल ने महसूस की है कमी आपकी
चाँद को कभी अकेला ना पाओगे
आगोश में सितारे मिल ही जायेंगे
कभी अगर तन्हा हो तो ऑंखें बंद कर लेना
अनजाने चेहरों में इस दोस्त को ज़रुर पाओगे
इश्क है वही जो हो एक तरफा
इजहार है इश्क तो ख्वाईश बन जाती है
है अगर इश्क तो आँखों में दिखाओ
जुबां खोलने से ये नुमाइश बन जाती है
शायद फिर से वो तकदीर मिल जाए
जीवन का सबसे हसीं पल मिल जाए
चल फिर से बनाए सागर पे रेत का मकान
शायद वापिस अपना बचपन मिल जाए
वो यारो कि महफिल वो मुस्कुराते पल
दिल से जुदा है अपना बीता हुआ कल
कभी गुज़रती थी ज़िंदगी वक़्त बिताने में
आज वक़्त गुज़र जाता है , उन यादों को जुटाने में
तुम्हारी दुनिया से जाने के बाद
हम तुम्हे हर एक तारे में नज़र आया करेंगे
तुम हर पल कोई दुआ माँग लेना
और हम हर पल टूट जाया करेंगे
Wednesday, October 10, 2007
SMS - Part 09
सवाल पानी का नही , प्यास का है
सवाल मौत का नहीं , सांस का है
प्यार करने वाले बहुत है दुनिया में
मगर सवाल प्यार का नही विश्वास का है
रिश्ते तो बनते है ऊपर वाले कि दुनिया में
हम तो सिर्फ निभाना चाहते है
पता नहीं दुसरे जन्म के बारे में
पर दोस्ती अपकी हर जन्म में पाना चाहते है
वो कहते है मजबूर है हम
ना चाहते हुए भी दूर है हम
चुराली उन्होने धड़कने हमारी
फिर भी कहते है बेकसूर है हम
जिन्दगी में बहुत बार ऐसा वक़्त आएगा
जब तुमको चाहने वला ही तुम्हे सबसे ज्यादा रुलायेगा
मगर विश्वास रखना उस पे
अकेले में वो तुमसे ज़्यादा आंसू बहायेगा
कभी शिक़ायत ना लबों पे लाएंगे
कहा है दोस्त तो दोस्ती निभाएंगे
कोई बुराई तुम्हारी हमारे सामने करे
क़सम खुदा कि , उसकी हाँ में हाँ मिलाएँगे
तिनका तिनका तूफ़ान में बिखरते चले गए
तन्हाई कि गहराइयों में उतरते चले गए
उड़ते थे जिन दोस्तो के सहारे आसमानों में हम
१-१ करके हम सब बिछड़ते चले गए
उम्मीदों कि शमा दिल में मत जलाना
इस जहाँ से अलग दुनिया मत बसाना
आज बस मूड में थे तो SMS कर दिया
पर रोज़ इंतज़ार में पलके मत बिछाना
सवाल मौत का नहीं , सांस का है
प्यार करने वाले बहुत है दुनिया में
मगर सवाल प्यार का नही विश्वास का है
रिश्ते तो बनते है ऊपर वाले कि दुनिया में
हम तो सिर्फ निभाना चाहते है
पता नहीं दुसरे जन्म के बारे में
पर दोस्ती अपकी हर जन्म में पाना चाहते है
वो कहते है मजबूर है हम
ना चाहते हुए भी दूर है हम
चुराली उन्होने धड़कने हमारी
फिर भी कहते है बेकसूर है हम
जिन्दगी में बहुत बार ऐसा वक़्त आएगा
जब तुमको चाहने वला ही तुम्हे सबसे ज्यादा रुलायेगा
मगर विश्वास रखना उस पे
अकेले में वो तुमसे ज़्यादा आंसू बहायेगा
कभी शिक़ायत ना लबों पे लाएंगे
कहा है दोस्त तो दोस्ती निभाएंगे
कोई बुराई तुम्हारी हमारे सामने करे
क़सम खुदा कि , उसकी हाँ में हाँ मिलाएँगे
तिनका तिनका तूफ़ान में बिखरते चले गए
तन्हाई कि गहराइयों में उतरते चले गए
उड़ते थे जिन दोस्तो के सहारे आसमानों में हम
१-१ करके हम सब बिछड़ते चले गए
उम्मीदों कि शमा दिल में मत जलाना
इस जहाँ से अलग दुनिया मत बसाना
आज बस मूड में थे तो SMS कर दिया
पर रोज़ इंतज़ार में पलके मत बिछाना
Thursday, September 27, 2007
पुरानी यादे ताज़ा करो।
मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।
पोशम्पा भाई पोशम्पा,
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी खानी पडेगी,
जेल का पानी पीना पडेगा।
थै थैयाप्पा थुश
मदारी बाबा खुश।
झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।
आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।
आलू-कचालू बेटा कहा गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।
तितली उडी, बस मे चढी।
सीट ना मिली,तो रोने लगी।।
driver बोला आजा मेरे पास,
तितली बोली " हट बदमाश "।
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।
पोशम्पा भाई पोशम्पा,
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी खानी पडेगी,
जेल का पानी पीना पडेगा।
थै थैयाप्पा थुश
मदारी बाबा खुश।
झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।
आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।
आलू-कचालू बेटा कहा गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।
तितली उडी, बस मे चढी।
सीट ना मिली,तो रोने लगी।।
driver बोला आजा मेरे पास,
तितली बोली " हट बदमाश "।
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है
कुछ इस तरह तेरी पलकें
कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे
तू हर घड़ी, हर वक़्त
मेरे साथ रही है
हाँ यह जिस्म कभी दूर
कभी पास रहा है
जो भी गम हैं यह तेरे
उन्हें तू मेरा पता बता दे
कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे
मुझ को तो तेरे चेहरे पे
यह गम नही जंचता
जायज़ नही लगता मुझे गम से तेरा रिश्ता
सुन्न मेरी गुज़ारिश
इससे चेहरे से हटा दे
कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे
कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे
तू हर घड़ी, हर वक़्त
मेरे साथ रही है
हाँ यह जिस्म कभी दूर
कभी पास रहा है
जो भी गम हैं यह तेरे
उन्हें तू मेरा पता बता दे
कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे
मुझ को तो तेरे चेहरे पे
यह गम नही जंचता
जायज़ नही लगता मुझे गम से तेरा रिश्ता
सुन्न मेरी गुज़ारिश
इससे चेहरे से हटा दे
कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे
कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
Wednesday, September 26, 2007
SMS - Part 08
जिसकी तलाश है उसको पता ही नही
हमारी चाहत को उसने समझा ही नहीं
हम पूछते रहे कि क्या तुम्हे हमसे प्यार है
वो कहते रहे कि उन्हें पता ही नहीं
मंजिलें भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक में अकेला था
काफिला भी उसका था
साथ-साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था
आज क्यों अकेला हूँ में ?
दिल सवाल करता है यह ....
लोग तो उसके थे , क्या खुदा भी उसका था !
मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे , आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है
हमारी चाहत को उसने समझा ही नहीं
हम पूछते रहे कि क्या तुम्हे हमसे प्यार है
वो कहते रहे कि उन्हें पता ही नहीं
मंजिलें भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक में अकेला था
काफिला भी उसका था
साथ-साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था
आज क्यों अकेला हूँ में ?
दिल सवाल करता है यह ....
लोग तो उसके थे , क्या खुदा भी उसका था !
मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे , आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है
Saturday, September 08, 2007
आज फुरसत है फैसला कर दे।
आँख प्यासी है कोई मंजर दे
इस जज़ीरे को भी समंदर दे
अपना चेहरा तलाश करना है
गर नहीं आईना तो पत्थर दे
बंद कलियों को चाहिए शबनम
इन चिरागों में रोशनी भर दे
पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतार
इस सदी को कोई पयंबर दे
कहकहों में गुज़र रही है हयात
अब किसी दिन उदास भी कर दे
फिर न कहना के खुदकुशी है गुनाह
आज फुरसत है फैसला कर दे।
इस जज़ीरे को भी समंदर दे
अपना चेहरा तलाश करना है
गर नहीं आईना तो पत्थर दे
बंद कलियों को चाहिए शबनम
इन चिरागों में रोशनी भर दे
पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतार
इस सदी को कोई पयंबर दे
कहकहों में गुज़र रही है हयात
अब किसी दिन उदास भी कर दे
फिर न कहना के खुदकुशी है गुनाह
आज फुरसत है फैसला कर दे।
Saturday, September 01, 2007
आंखों को बंद करते है दीदार के लिए ।
कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब,
तुम तो करने लगे पल-पल का हिसाब ।
खुश्क पत्तो का मौसम लेकर ,
आग के शहर में रहते हो जनाब ।
इन्कार वो करते है इकरार क लिए,
नफरत भी करते है तो प्यार क लिए ।
उलटी ही चाल चलते है इश्क करने वाले,
आंखों को बंद करते है दीदार के लिए ।
जी करे तुम्हारा चेहरा मेरे हाथ में हो
यह एहसास क्यों करते नही हो ।
तुम्हारे पास ही हूँ ए जानम ,
यह कह कर मन बहलाते क्यों हो ?
मोहब्बत मुझे थी उनसे इतनी ,
उनकी यादों में दिल तड़पता रहा ।
मौत भी मेरी चाहत को रोक ना सकी ,
कब्र में भी दिल धड़कता रहा ।
हर दुआ कुबूल नही होती,
हर आरजू पुरी नही होती ।
जिनके दिल में आप जैसे चाहनेवाले रहते हो,
उनके लिए धड़कन भी जरुरी नही होती ।
तुम तो करने लगे पल-पल का हिसाब ।
खुश्क पत्तो का मौसम लेकर ,
आग के शहर में रहते हो जनाब ।
इन्कार वो करते है इकरार क लिए,
नफरत भी करते है तो प्यार क लिए ।
उलटी ही चाल चलते है इश्क करने वाले,
आंखों को बंद करते है दीदार के लिए ।
जी करे तुम्हारा चेहरा मेरे हाथ में हो
यह एहसास क्यों करते नही हो ।
तुम्हारे पास ही हूँ ए जानम ,
यह कह कर मन बहलाते क्यों हो ?
मोहब्बत मुझे थी उनसे इतनी ,
उनकी यादों में दिल तड़पता रहा ।
मौत भी मेरी चाहत को रोक ना सकी ,
कब्र में भी दिल धड़कता रहा ।
हर दुआ कुबूल नही होती,
हर आरजू पुरी नही होती ।
जिनके दिल में आप जैसे चाहनेवाले रहते हो,
उनके लिए धड़कन भी जरुरी नही होती ।
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