कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब,
तुम तो करने लगे पल-पल का हिसाब ।
खुश्क पत्तो का मौसम लेकर ,
आग के शहर में रहते हो जनाब ।
इन्कार वो करते है इकरार क लिए,
नफरत भी करते है तो प्यार क लिए ।
उलटी ही चाल चलते है इश्क करने वाले,
आंखों को बंद करते है दीदार के लिए ।
जी करे तुम्हारा चेहरा मेरे हाथ में हो
यह एहसास क्यों करते नही हो ।
तुम्हारे पास ही हूँ ए जानम ,
यह कह कर मन बहलाते क्यों हो ?
मोहब्बत मुझे थी उनसे इतनी ,
उनकी यादों में दिल तड़पता रहा ।
मौत भी मेरी चाहत को रोक ना सकी ,
कब्र में भी दिल धड़कता रहा ।
हर दुआ कुबूल नही होती,
हर आरजू पुरी नही होती ।
जिनके दिल में आप जैसे चाहनेवाले रहते हो,
उनके लिए धड़कन भी जरुरी नही होती ।
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