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Saturday, September 01, 2007

आंखों को बंद करते है दीदार के लिए ।

कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब,
तुम तो करने लगे पल-पल का हिसाब
खुश्क पत्तो का मौसम लेकर ,
आग के शहर में रहते हो जनाब



इन्कार वो करते है इकरार लिए,
नफरत भी करते है तो प्यार लिए
उलटी ही चाल चलते है इश्क करने वाले,
आंखों को बंद करते है दीदार के लिए



जी करे तुम्हारा चेहरा मेरे हाथ में हो
यह एहसास क्यों करते नही हो
तुम्हारे पास ही हूँ जानम ,
यह कह कर मन बहलाते क्यों हो ?



मोहब्बत मुझे थी उनसे इतनी ,
उनकी यादों में दिल तड़पता रहा
मौत भी मेरी चाहत को रोक ना सकी ,
कब्र में भी दिल धड़कता रहा



हर दुआ कुबूल नही होती,
हर आरजू पुरी नही होती
जिनके दिल में आप जैसे चाहनेवाले रहते हो,
उनके लिए धड़कन भी जरुरी नही होती

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