अजब कशमकश में हूँ कुछ समझ में नहीं आता
मेरे यार समझते है मैं समझना नहीं चाहता
जानता हूँ मेरे ग़म से परेशान है हर कोई
खुश रहना चाहता हूँ पर ग़म छुपाना नहीं आता
चाहत को मेरी उसने मज़ाक बनाकर रख दिया
फिर भी बेवफा को दिल से मिटाना नहीं आता
घुट-घुट कर जी रहा हूँ हर पल ज़िन्दगी का
मर भी जाएँ प्यार में लेकिन बहाना नहीं आता
सोचते हो तुम कि डरता हूँ मुसीबतों से
कमज़ोर नहीं हूँ लेकिन खुद से लड़ना नहीं आता
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