चेहरे पे बनावट का गुस्सा,
आंखों से छलकता प्यार भी है,
इस शौक-ए-अदा को क्या कहिये,
इनकार भी है और इकरार भी है।
मस्त निगाहों से देख लेना था,
अगर तमन्ना थी आजमाने की,
हम तो बेहोश यूंही हो जाते,
क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की।
याद करोगे कभी दोस्ती के इस ज़माने को ,
जब हम चले जायेंगे कभी लौटकर न आने को।
जब कभी नाम आएगा हमारा महफिल में,
तुम छिपकर चले जाओगे कहीं आंसू बहाने को।
सपने टूट जाते है अपने रूठ जाते है,
ज़िंदगी में जाने कैसे-कैसे मोड़ आते है।
मगर साथ हो आप जैसे दोस्त का,
तो राहों के फूल भी कांटे बन जाते है ।
वो बात क्या करूं जिसकी खबर ही न हो ,
वो दुआ क्या करूं जिसमे असर ही न हो ।
कैसे कह दूं तुझे लग जाये मेरी सारी उमर,
क्या पता अगले पल मेरी उमर हो की न हो ।
सागर में जितना पानी है
वो गागर में भर नही सकते
दिल में जितना प्यार है
वो SMS में लिख नही सकते
इश्क के सहारे जिया नही करते
गम के प्यालों को पिया नही करते
कुछ नवाब दोस्त है हमारे
जिनको परेशान ना करो
तो वो याद भी नही किया करते
तुम न मिलो कोई गम नही
बस बात करो ..... ये मिलने से कम नही
दोस्ती में धोका दे जाये वो हम नही
और हमारी दोस्ती "बंटी और बबली"से कम नही ।